रुके रुके
से कदम, रुक के बार बार चले, (Mausam)
सिली सिली बिरहा की रातों में, (Rudaali)
दूर खिड़की से चाँद को निहार चले, (Saathiya)
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा नहीं, (Aandhi)
जाने क्यों आँखों में फिर, धुंए का गुबार चले, (Marasim)
दिल ढूँढता, है फिर वही फुर्सत के रात दिन, (Mausam)
सावन के भीगे दिन, खतों में लिपटी रात, लिए साथ चले, (Ijaazat)
दोस्तों से झूठी मूठी, तेरा नाम ले कर, दिल भर लिया, (Saathiya)
चुपके से यूँ बातों में यादों की लिए बहार चले, (Saathiya)
चुपके से यूँ बातों में यादों की लिए बहार चले, (Saathiya)
कतरा कतरा मिले थे, कुछ पल तुम्हारे साथ, (Ijaazat)
उन जाते पलों में ये ज़िन्दगी गुज़ार चले, (Golmaal)
रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले I
Happy Birthday Gulzaar Saab
(Rendition of few of my favorite Gulzaar poems)
Beautiful. Awesome. Lovely.
ReplyDeleteYou can't pay a better tribute!
Thank you for appreciating :)
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